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पाने से खोने का मज़ा कुछ और है बंद आँखों से सोने का मज़ा कुछ और है आँसू बने लफ़ज़ और लफ़ज़ बनी जुबा इस ग़ज़ल में किसी के होने का मज़ा कुछ और है


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